Wasim Barelvi Shayari In Hindi | वसीम बरेलवी की मशहूर शेरो शायरी
Wasim Barelvi Shayari का जादू हर उस दिल को छू जाता है जो लफ्जों की गहराई को समझता है। वसीम बरेलवी, जिनका असली नाम ज़ाहिद हुसैन है, का जन्म उत्तर प्रदेश के बरेली में हुआ था। बचपन से ही उन्हें उर्दू भाषा और अदब से गहरा लगाव था। शायरी के प्रति उनकी रुचि स्कूल के दिनों में ही जाग गई थी, और उन्होंने बहुत ही कम उम्र में मंच पर अपनी बात कहना शुरू कर दिया था। आज वसीम बरेलवी की शेरो शायरी हर उम्र के लोगों को मोहब्बत, दर्द और समाज की सच्चाइयों का आईना दिखाती है।
वसीम बरेलवी शायरी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वो दिल को छू जाने वाली सादगी और गहराई से लिखते हैं। उनकी रचनाओं में नफ़ासत है, सोच है और एक अद्भुत दर्द भी है जो हर इंसान अपने तरीके से महसूस कर सकता है। उन्होंने न केवल भारत में बल्कि पाकिस्तान सहित कई देशों में अपनी शायरी से लोगों का दिल जीता है। अगर आप शेरो शायरी के शौकीन हैं, तो वसीम बरेलवी की रचनाएं आपके जज़्बातों को शब्द देने का काम करेंगी। उनकी मशहूर लाइन – “कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी, यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता” – आज भी हर महफ़िल में गूंजती है।
Wasim Barelvi Shayari In Hindi
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो,
न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए.
वो मेरे घर नहीं आता मैं उस के घर नहीं जाता,
‘मगर’ इन एहतियातों से तअल्लुक़ मर नहीं जाता.
मोहब्बतों के दिनों की यही ख़राबी है,
ये रूठ जाएँ तो फिर लौट कर नहीं आते.
उसे समझने का कोई तो रास्ता निकले,
मैं चाहता भी यही था वो बेवफ़ा निकले.
एक मंज़र पे ठहरने नहीं देती फ़ितरत,
उम्र भर आँख की क़िस्मत में सफ़र लगता है.
जहाँ रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगा,
किसी चराग़ का अपना मकाँ नहीं होता.
चाहे जितना भी बिगड़ जाए ज़माने का चलन,
झूट से हारते देखा नहीं सच्चाई को.
वो जितनी दूर हो उतना ही मेरा होने लगता है,
मगर जब पास आता है तो मुझ से खोने लगता है.
निगाहों के तक़ाज़े चैन से मरने नहीं देते,
यहाँ मंज़र ही ऐसे हैं कि दिल भरने नहीं देते.
क्या बताऊँ कैसा ख़ुद को दर-ब-दर मैं ने किया,
उम्र-भर किस किस के हिस्से का सफ़र मैं ने किया.
जो मुझ में तुझ में चला आ रहा है सदियों से,
कहीं हयात उसी फ़ासले का नाम न हो.
झूट वाले कहीं से कहीं बढ़ गए,
और मैं था कि सच बोलता रह गया.
अपने अंदाज़ का अकेला था,
इस लिए मैं बड़ा अकेला था.
हम अपने आप को इक मसला बना न सके,
इसलिए तो किसी की नज़र में आ न सके.
उस ने मेरी राह न देखी और वो रिश्ता तोड़ लिया,
जिस रिश्ते की ख़ातिर मुझ से दुनिया ने मुँह मोड़ लिया.
तुम साथ नहीं हो तो कुछ अच्छा नहीं लगता,
इस शहर में क्या है जो अधूरा नहीं लगता.
मुझ को चलने दो अकेला है अभी मेरा सफ़र,
रास्ता रोका गया तो क़ाफ़िला हो जाऊँगा.
दिल की बिगड़ी हुई आदत से ये उम्मीद न थी,
भूल जाएगा ये इक दिन तिरा याद आना भी.
दुख अपना अगर हम को बताना नहीं आता,
तुम को भी तो अंदाज़ा लगाना नहीं आता.
आज पी लेने दे जी लेने दे मुझ को साक़ी,
कल मिरी रात ख़ुदा जाने कहाँ गुज़रेगी,
हर शख़्स दौड़ता है यहाँ भीड़ की तरफ़,
फिर ये भी चाहता है उसे रास्ता मिले.
निष्कर्ष:
Wasim Barelvi Shayari सिर्फ अल्फाज़ नहीं, बल्कि एहसासों की वो खूबसूरत अभिव्यक्ति है जो दिल को छू जाती है। वसीम बरेलवी के अशआर और शेरो शायरी में एक ऐसी गहराई होती है जो हर उम्र, हर दौर और हर दिल को अपनी बात कहने का मौका देती है। उनकी शायरी में बचपन की मासूमियत से लेकर ज़िंदगी की सच्चाई तक सब कुछ सजीव हो उठता है।
अगर आप Wasim Barelvi In Hindi के शौकीन हैं या फिर किसी खास मौके पर अपने जज़्बात बयां करना चाहते हैं, तो वसीम बरेलवी शायरी आपके लिए बिल्कुल सही विकल्प है। आप इन बेहतरीन शेरों को WhatsApp, Facebook और Instagram पर शेयर कर सकते हैं और अपनी भावनाओं को दुनिया से खूबसूरती से साझा कर सकते हैं।