जो ख़ामोशी न समझे उससे प्यार क्या करना, और जो समझ ले उससे इजहार क्या करना.
चांदनी रात के खामोश सितारों की कसम, दिल में अब तेरे सिवा कोई भी आबाद नहीं.
Izhaar Shayari
किसी भी तरह वो इज़हार तो करे इक बार, नज़र से कह के ज़ुबाँ से भले मुकर जाये.
तूने जिस बात को इज़हार-ए-मुहब्बत समझा, बात करने को बस इक बात रखी थी हमने.
दिल लुट जाने का इज़हार ज़रूरी तो नही, ये तमाशा सर-ए-बाजार ज़रूरी तो नहीं.