अजब चराग़ हूँ दिन रात जलता रहता हूँ अजब चराग़ हूँ दिन रात जलता रहता हूँ मैं थक गया हूँ हवा से कहो बुझाए मुझे. - बशीर बद्र

बक रहा हूँ जुनूँ में क्या क्या कुछ कुछ न समझे ख़ुदा करे कोई. - मिर्ज़ा ग़ालिब

आसमाँ इतनी बुलंदी पे जो इतराता है भूल जाता है ज़मीं से ही नज़र आता है - वसीम बरेलवी 

दिल में किसी के राह किए जा रहा हूँ मैं, कितना हसीं गुनाह किए जा रहा हूँ मैं. - जिगर मुरादाबादी 

Urdu Poetry

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