तेरी यादों का हिसाब कौन रखे,
ये दिल हर रोज नया क़र्ज़ ले लेता है।
यादें भी कितनी अजीब होती हैं,
जो पास है वो भी दूर लगने लगता है।
हम रोज़ खुद को समझाते हैं,
पर ये यादें मानती ही नहीं।
कोशिश बहुत की भुला दूं तुझे,
पर यादों ने इजाज़त ही नहीं दी।
तेरी यादें भी मेरे जैसी हैं,
मुझे तन्हा कभी छोड़ती ही नहीं।.
तेरी यादें भी मेरे ग़म की तरह हैं,
ना कम होती हैं, ना खत्म होती हैं।
तू पास नहीं तो क्या हुआ,
तेरी यादें तो हर वक्त गले लगी रहती हैं।
यादें बेचने का हुनर अगर किसी को आता,
तो हमारी कीमत भी कुछ कम न होती।
मिलना तो मुमकिन नहीं तुझसे,
पर तेरी यादें हर रोज़ मिलने आ जाती हैं।
याद शायरी
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