अपनी हस्ती ही से हो जो कुछ हो, आगही गर नहीं ग़फ़लत ही सही.

कितना ख़ौफ होता है शाम के अंधेरों में, पूछो उन पन्छियो से जिनके घर नहीं होते.

Mirza Ghalib Shayari

गुज़र रहा हू यहाँ से भी गुज़र जाउँगा, मै वक़्त हू कहीं ठहरा तो मर जाउँगा.

दिल ए नादाँन तुझे हुआ क्या है, आख़िर ईस दर्द कि दवा क्या हैं.

मोहब्बत मै उनकी आना का पास रखते है, हम जानकर भी अक्सर उन्हें नाराज़ रखते हे.

दिल से तेरी निगाह जिगर ताक उतर गया, दोनों को इक आदा में रज़ामंद कर गया.

दर्द जब भी दिल मै हो तो दवा किजिए , दिल हि जाब दार्द हो तो कया किजिए.

चाँदनी रातो कि खामोश सितारो के कसम, दिल मै आब तेरे सिवा कोई भि आबाद नही.

हम को उन से वफा की है उम्मीद, जो नहीं जानते वफा क्या है.

मिर्जा गालिब शायरी

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