रोज़ पिलाता हूँ एक ज़हर का प्याला उसे, एक दर्द जो दिल में है मरता ही नहीं है.

आँखों में उमड़ आता है बादल बन कर, दर्द एहसास को बंजर नहीं रहने देता.

नसीहत अच्छी देती है दुनिया, अगर दर्द किसी ग़ैर का हो.

दर्द में भी ये लब मुस्कुरा जाते हैं, बीते लम्हे हमें जब भी याद आते है.

मेरे तो दर्द भी औरों के काम आते हैं, मैं रो पडूँ तो कई लोग मुस्कराते है.

दर्द की भी अपनी अलग अदा है, वो भी सहने वालो पर फ़िदा है.

हर मुलाक़ात पर वक़्त का तकाज़ा हुआ, हर याद पर दिल का दर्द ताज़ा हुआ.

बेनाम सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीं जाता, जो बीत गया है वो गुज़र क्यूँ नहीं जाता.

लोग कहते हैं हम मुस्कराते बहुत हैं, और हम थक गए दर्द छुपाते छुपाते.

Dard Bhari Shayari

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