सुनो अब लौट कर मत आना कभी बोहोत
टूट चूका हूँ तुम्हे टूट कर चाहने वाला...
सब कुछ जान के भी चुप हैं, ये कमज़ोरी नहीं फितरत है हमारी.
नकाब है सबके चेहरे पर, लोग मुस्कुराके धोखा देते है.
मुझे आज भी वही पसंद है, जो नफरत के काबिल भी नही है.
टूट कर चाहना और फिर टूट जाना, बात छोटी है मगर जान निकल जाती है.
वक्त खराब थाया मेरी किस्मत इतना प्यार देकर भी मुझे धोखा मिला.
वो जो कहते थे तुम से बिछड़ेंगे तो मर जाएंगे, आज उन्हें गली से बड़े खुश होकर निकलते देखा.
हम लोगों को मौका देते है, वो ही हमें प्यार में धोखा देते है.
न जाने हमने ऐसा क्या किया, उसने हमें ही धोखा दिया.
बेवफा शायरी
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