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Nasir Kazmi Shayari In Hindi | नासिर काज़मी शायरी

Nasir Kazmi Shayari उर्दू शायरी की उस गहराई का नाम है, जिसमें तन्हाई, मोहब्बत, दर्द और उम्मीद का खूबसूरत संगम मिलता है। नासिर काज़मी का जन्म 8 दिसंबर 1925 को अंबाला, भारत में हुआ था। बंटवारे के बाद वे पाकिस्तान चले गए और वहीं से उन्होंने उर्दू साहित्य में एक नया मुकाम हासिल किया। उनकी शायरी में सादगी, भावनाओं की सच्चाई और ग़ज़ब की कलात्मकता देखने को मिलती है।

नासिर काज़मी शायरी सिर्फ अल्फ़ाज़ नहीं होती, बल्कि वो एहसास होते हैं जो दिल के सबसे नर्म कोनों को छू जाते हैं। उनकी शायरी में मोहब्बत की मासूमियत, तन्हाई की चुप्पी और ज़िंदगी की सच्चाई एक साथ सांस लेती हैं। अगर आप भी उन लम्हों को जीना चाहते हैं जो खामोशियों में गूंजते हैं, तो नासिर काज़मी शेरो शायरी आपके लिए एक अनमोल खज़ाना साबित होगी।

नासिर काज़मी शायरी आज भी युवाओं से लेकर शायरी के जानकारों तक के दिलों में बसती है। चाहे मोहब्बत का कोई मीठा एहसास हो या जुदाई की चुभती खामोशी, उनके शेर दिल को छू जाते हैं और यादों की परछाइयों में घुल जाते हैं।

NASIR Kazmi Shayari

NASIR Kazmi shayari

कौन अच्छा है इस ज़माने में
क्यूँ किसी को बुरा कहे कोई.

nasir Kazmi shayari

आँच आती है तिरे जिस्म की उर्यानी से
पैरहन है कि सुलगती हुई शब है कोई..

Nasir Kazmi shayari

आज देखा है तुझ को_देर के बअ’द
आज का दिन गुज़र न जाए कहीं..

nasir kazmi shayari

आज तो बे-सबब_उदास है जी
इश्क़ होता तो कोई बात भी थी..

nasir Kazmi shayari

जुर्म-ए-उम्मीद की सज़ा ही दे
मेरे हक़ में भी कुछ सुना ही दे..

nasir Kazmi shayari

तू ने तारों से शब की माँग भरी
मुझ को इक अश्क-ए-सुब्ह-गाही दे..

nasir kazmi shayari

उम्र भर की नवा-गरी का सिला
ऐ ख़ुदा कोई हम-नवा ही दे…

nasir Kazmi shayari

उन्हें सदियों न भूलेगा ज़माना
यहाँ जो हादसे कल हो गए हैं..

nasir Kazmi shayari

उस ने मंज़िल पे ला के छोड़ दिया
उम्र भर जिस का रास्ता देखा..

nasir kazmi shayari

कल जो था वो आज नहीं जो,
आज है कल मिट जाएगा,
रूखी-सूखी जो मिल जाए शुक्र करो,
तो बेहतर है..

nasir kazmi shayari

आरज़ू है कि तू यहाँ आए
और फिर उम्र भर न जाए कहीं..

nasir kazmi shayari

ऐ दोस्त हम ने तर्क-ए-मोहब्बत के बावजूद
महसूस की है तेरी ज़रूरत कभी कभी..

nasir kazmi shayari

अकेले घर से पूछती है बे-कसी
तिरा दिया जलाने वाले क्या हुए..

nasir kazmi shayari

कभी ज़ुल्फ़ों की घटा ने घेरा
कभी आँखों की चमक याद आई.

nasir kazmi shayari

कहते हैं ग़ज़ल क़ाफ़िया-पैमाई है ‘नासिर’
ये क़ाफ़िया-पैमाई ज़रा कर के तो देखो.

कुछ यादगार-ए-शहर-ए-सितमगर ही ले चलें
आए हैं इस गली में तो पत्थर ही ले चलें..

ओ मेरे मसरूफ़ ख़ुदा
अपनी दुनिया देख ज़रा.

अपनी धुन में रहता हूँ
मैं भी तेरे जैसा हूँ..

आँच आती है तिरे जिस्म की उर्यानी से
पैरहन है कि सुलगती हुई शब है कोई..

अकेले घर से पूछती है बे-कसी
तिरा दिया जलाने वाले क्या हुए..

आज तो बे-सबब उदास है जी
इश्क़ होता तो कोई बात भी थी..

ऐ दोस्त हम ने तर्क-ए-मोहब्बत के बावजूद
महसूस की है तेरी ज़रूरत कभी कभी..

आरज़ू है कि तू यहाँ आए
और फिर उम्र भर न जाए कहीं..

निष्कर्ष:

नासिर काज़मी शायरी उर्दू अदब की वो नायाब धरोहर है, जिसने अपने जज़्बातों और अहसासों को इतने खूबसूरत अल्फ़ाज़ दिए कि हर शेर दिल में उतर जाता है।

नासिर काज़मी शायरी सिर्फ मोहब्बत तक सीमित नहीं, बल्कि तन्हाई, इंतज़ार, जुदाई और ज़िंदगी के हर मोड़ की गहराइयों को छूती है। उनकी शेरो शायरी आज भी लाखों दिलों की धड़कन बनी हुई है।

अगर आप भी उर्दू शायरी के शौकीन हैं, तो नासिर काज़मी शायरी स्टेटस, नासिर काज़मी शेरो शायरी, और नासिर काज़मी के ग़मगीन शेर आपके दिल की आवाज़ बन सकते हैं। उनकी शायरी को आप Instagram पर caption के रूप में, WhatsApp स्टेटस में या Facebook पर शेयर करके अपने जज़्बात बख़ूबी बयां कर सकते हैं।

नासिर काज़मी की शायरी आज भी वही ताज़गी और असर रखती है, जो उन्होंने पहली बार लिखते वक्त महसूस की थी। उनकी कलम से निकले हर अल्फ़ाज़ एक अहसास है, जिसे बार-बार पढ़ने का मन करता है।

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