Hindi Shayari
[50+] Best Javed Akhtar Shayari in Hindi | जावेद अख्तर शायरी
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जावेद अख्तर शायरी
सब का खुशी से फासला एक कदम है
हर घर में बस एक ही कमरा कम है..
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तुम ये कहते हो कि मैं ग़ैर हूँ फिर भी शायद
निकल आए कोई पहचान ज़रा देख तो लो..
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वक़्त की गर्दिशों का ग़म न करो
हौसले मुश्किलों में पलते हैं..
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दर्द के फूल भी खिलते है
बिखर जाते है जख्म कैसे भी हो
कुछ रोज़ में भर जाते है..
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अब हवाएँ ही करेंगी रौशनी का फ़ैसला
जिस दिए में जान होगी वो दिया रह जाएगा..
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ऐ सफर इतना बेकार तो ना जा
ना हो मंजिल कहीं तो पहुंचा दे..
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हम को मिटा सके ये ज़माने में दम नहीं
हम से ज़माना ख़ुद है ज़माने से हम नहीं..
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अगर लहरों को है दरिया में रहना
तो उनको होगा अब चुपचाप जाना..
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ख़ून से सींची है मैं ने जो ज़मीं मर मर के
वो ज़मीं एक सितम-गर ने कहा उस की है…
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ये कह के दिल ने मिरे हौसले बढ़ाए हैं
ग़मों की धूप के आगे ख़ुशी के साए हैं..
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अपनी वजहें बर्बादी सुनिए तो मजे की है
जिंदगी से यूं खेले जैसे दूसरे की है..
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बंध गई थी दिल में कुछ उम्मीद सी
ख़ैर तुम ने जो किया अच्छा किया..
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हमको तो बस तलाश नए रास्तों की है
हम है मुसाफिर ऐसे जो मंजिल में। आए है..
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सदा एक ही रुख़ नहीं नाव चलती
चलो तुम उधर को हवा हो जिधर की..
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दिल को घेरे है रोजगार के गम
रद्दी में खो गयी किताब कोई..
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तुम फुजूल बातो का दिल पर बोझ मत लेना
हम तो खैर कर लेंगे जिंदगी बसर तन्हा..
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जब आईना तो देखो इक अजनबी देखो
कहां पे लाई है तुमको ये ज़िंदगी देखो…
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खुश शक्ल भी है ये अलग बात है
मगर हमको जाहिल लोग हमेशा अजीज थे..
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जो भी मैंने काम किया है
वो मेने दिल के करीब से ही किया है..
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जो काम मेरे दिल के करीब नहीं था
उसको मैंने कभी किया ही नहीं..
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अहसान करो तो दुआओं में मेरी मौत मांगना
अब जी भर गया है जिंदगी से
एक छोटे से सवाल पर इतनी खामोशी क्यों
बस इतना ही पूछा था कभी वफा की किसी से..
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कोई शिकवा न गम न कोई याद
बैठे बैठे बस आंख भर आई..
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कभी जो ख़्वाब था वो पा लिया है
मगर जो खो गई वो चीज़ क्या थी..
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किसी को क्या बताए की कितना मजबूर हूं
चाहा था सिर्फ एक तुमको और तुमसे ही दूर हूं
काश कोई हम पर भी इतना प्यार जताती
पीछे से आकर वो हमारे आंखो को छुपाती..
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आगही से मिली है तन्हाई
आ मेरी जान मुझ को धोका दे..
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उनकी चिरागो में तेल ही कम था
क्यों गिला फिर हम हवा से करे
हमको उठना तो मुंह अंधेरे था
लेकिन एक ख्वाब हमको घेरे था..
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झूठे इल्जाम मेरी जान
लगाया ना करो
दिल है नाजुक इसे तुम
ऐसे दुखाया ना करो..
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जिधर जाते है जाना उधर अच्छा नही लगता
मुझे पामाल रास्तों का सफर अच्छा नही लगता
गलत बातो को खामोशी से सुनना हामी भर लेना
बहुत है फायदे इसमें मगर अच्छा नही लगता..
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जाते जाते वो मुझे अच्छी निशानी दे गया
उम्र भर दोहराएंगे ऐसी कहानी दे गया
उस से मैं कुछ पा सकू ऐसी कहाँ उम्मीद थी
ग़म भी शायद बराए मेहरबानी दे गया
खैर मैं प्यासा रहा पर उसने इतना तो किया
मेरी पलकों की कितरों को वो पानी दे गया..
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हंसती आंखों में झांककर देखो
कोई आंसू कही छुपा होगा..
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खुला है दर प तिरा इंतजार जाता रहा
खुलुस तो है मगर एतबार जाता रहा..
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अगर आप जिंदा हैं तो
आपको वक्त के साथ बदलना चाहिए..
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काटों का भी अहसान अदा कीजिए हुजूर
कई बार फूलो की लाज बचाई होगी..
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दर्द अपनाता है पराए कौन
कौन सुनता है और सुनाए कौन
कौन दोहराए वो पुरानी बात
ग़म अभी सोया है जगाए कौन
वो जो अपने हैं क्या वो अपने हैं
कौन दुख झेले आज़माए कौन…
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में और मेरी तनहाई अक्सर ये बात करती है
तुम होती तो कैसा होता..
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अभी से पाँव के छाले न देखो
अभी यारो सफ़र की इब्तिदा है..
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सपना कभी साकार नहीं होता
मोहब्बत का कभी आकार नही होता
सब कुछ हो जाता है इस दुनिया में
मगर दोबारा किसी से प्यार नहीं होता..
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ऊंची इमारतों से मकान मेरा गिर गया
कुछ लोग मेरे हिस्से का सूरज भी खा गए..
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मुझे गम है की मैंने
ज़िन्दगी में कुछ नहीं पाया
यह गम दिल से निकल जाये
अगर तुम मिलने आ जाओ..
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खून से सिंची है मैने जो जमीं मर मर के
वो जमीं एक सितम गर ने कहा उसकी है..
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मुझे मायूस भी करती नहीं है
यह आदत तेरी अच्छी नहीं है..
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अगर दुसरो के जोर पर
उड़कर दिखाओगे
तो अपने पैरो से उड़ने
की हुनर भूल जाओगे…
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अक्सर वो कहते है वो मेरे है
अक्सर वो क्यों कहते है हैरत होती है..
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इश्क और सुबह की चाय
दोनो एक समान होती है
एक बार वही नयापन
एक बार वही ताज़गी..
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खुदगर्ज बना देती है तलब की शिद्धत भी
प्यासे को कोई दूसरा प्यासा नहीं लगता..
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मेरी बुनियादों में कोई टेड थी
अपनी दीवारों को क्या इल्जाम दूं..
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डर हमको लगता है रास्ते के सन्नाटे से
लेकिन एक सफर पर ए दिल अब जाना होगा..
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सँवरना ही है तो किसी की नजरों में संवरिये,
आईने में खुद का मिजाज नहीं पूछा करते..
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चलो तुम रास्ते खोजो बिछड़ने के
हम माहौल पैदा करते है मिलने के..
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ये दुनिया भर के झगड़े
घर के किस्से काम की बाते
बला हर एक टल जाए
अगर तुम मिलने आ जाओ..
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इस शहर में जीने के अंदाज़ निराले है
होठो पे लतीफे है आवाज़ में छाले है..
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जो भी मैंने काम किया है
वो मेने दिल के करीब से ही किया है
जो काम मेरे दिल के करीब नहीं था
उसको मैंने कभी किया ही नहीं…
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अभी जमीर में थोड़ी सी जान बाकी है
अभी हमारा कोई इम्तिहान बाकी है
हमारे घर को तो उजड़े हुए जमाना हुआ
मगर सुना है अभी वो मकान बाकी है..
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जब आइना देखो इक अजनबी देखो
कहाँ पे लाई है तुम ये ज़िन्दगी देखो..
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हंसती आंखो में झांककर देखो
कोई आंसू नहीं छुपा होगा…
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कुछ कमी अपनी वफाओं में भी थी
तुमसे क्या कहते तुमने क्या किया..
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जब आईना देखो एक अजनबी देखो
कहां पे ले आई तुमको ये जिंदगी देखो..
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अक्ल ये कहती है दुनिया
मिलती है बाजार में
दिल मगर ये कहता है कुछ
और बेहतर देखिए…
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संवरना है तो किसी के नज़रो में सवरिये
आइना में खुद का मिजाज़ पूछा नहीं करते..
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याद उसे भी एक
अधूरा अफसाना तो होगा
कल रास्ते में उसने हमको
पहचाना तो होगा..
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बहाना ढूंढते रहते है रोने का
हमे ये शौक है क्या आस्तीन भिगोने का
अगर पलक पर है मोती तो ये नही काफ़ी
हुनर भी चाहिए अल्फाज में पिरोने का
जो फसल ख्वाब की तैयार की है तो ये जानो
की वक्त आ गया फिर दर्द कोई बोने का
ये जिंदगी भी अजब कारोबार है
की मुझे खुशी है पाने की कोई रंज ना खोने का
है चकनाचूर फिर भी मुस्कुराता है
वो चेहरा जैसे हो टूटे हुए खिलोने का…
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बुलंदी पर उन्हें
मिट्टी की खुशबू तक नहीं आती
ये वो शाखे है जिनको अब शहर
अच्छा नही लगता..
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कभी जो ख्वाब था वो पा लिया है
मगर जो खो गयी वो चीज़ क्या थी..